श्रीमत सर्व चॉबिसो जिनेश्वर
श्रीमत सर्व चॉबिसो जिनेश्वर
दयानिधि सागर तुम जयलोको
अब मैं तुम पूजन को आयो
मन वच तन धरि शीश नमाऊँ
अष्ट कर्म हानो प्रभु मैरो
तारण तरण विरद सुनि आयो
अब मोको तुम पार करिजे
तुम गुण महिमा पार न लहिए
गणधर से प्रभु पार ना लहिये
यह संसार उतारो स्वामी
जनम मरण दुख दूर करीजे
मिथ्या मोह निसार दयानिधि
सांची श्रृद्धा अब मोहे दीजे
मुझ मूरख पर दृष्टि न दीजे
धीरज राय का नित्य गुण लीजे
चिंतामणि चिंता हरो मोरी
सेवक की प्रभु अरज सुनीजे
अरज सुनीजे प्रभु ढील ना कीजे
न्याय करीजे प्रभु दया धरीजे